अयोध्या के राम मंदिर के आसपास की कुछ प्रसिद्ध जगहों के बारे में जानिए।(Know about some of the famous places around Ram Temple in Ayodhya.)

प्रभु श्रीराम जी की नगरी अयोध्या के बारे में अब क्या ही कहा जाए, अयोध्या एक ऐसा शहर है जहाँ अगर हम देखे तो हर जगह रामजी से जुड़ी हुई है।घूमने के लिए तो अयोध्या नगरी बहुत ही बेहतरीन जगह है।आज हम आपको इस पोस्ट के द्वारा कुछ ऐसे स्थान बताएँगे जो की, अयोध्या में घूमने के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं।यदि आप अयोध्या जाने वाले हैं, तो इन स्थानों पर अवश्य जाएँ।अयोध्या उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद जिले में सरयूँ नदी के दाएँ तट पर स्थित है।यह प्रभु श्रीराम की नगरी है।अयोध्या हिंदुओ का प्रमुख तीर्थस्थल है।देखा जाए तो अयोध्या मुख्य रूप से मंदिरों का शहर है।अयोध्या नगरी की यात्रा हमें धार्मिकता से जोड़ेगी।आइए देखते हैं की वो कौनसे प्रसिद्ध स्थल हैं अयोध्या में जिनके बारे में हम आज पढ़ेंगे।

हनुमान गढ़ी मंदिर

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श्री हनुमान गढ़ी अयोध्या का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। अयोध्या जाने के बाद अगर हनुमान गढ़ी नहीं गए तो मानो श्रीराम जी की पूजा अधूरी है।लोगों का मानना है कि, हनुमान गढ़ी मंदिर में साक्षात हनुमान जी विराजमान हैं। रोज़ शाम 4 बजे,मंदिर में उनके लिए एक विशेष गद्दी लगायी जाती है।जिसपर हनुमान जी विराजमान होते हैं।हनुमान जी को हेमन गढ़ी मंदिर का राजा माना गया है।कहा जाता है की इस मंदिर में जब भी हनुमान जी की आरती की जाती है उस समय वरदान माँगने से सारी इच्छाएँ पूर्ण होती है।

हनुमान गढ़ी की विशेषताएँ

इतिहासकारों का मानना है कि लंका नरेश रावण का वध करके हनुमान जी पुष्पक विमान में श्रीराम, सीता और लक्ष्मण जी के साथ हनुमान गढ़ी आए थे। उसी समय से हनुमान जी यह विराजमान हो गए,और तभी से लोगों ने उनको हनुमान गढ़ी का राजा मान लिया।हनुमांनजी यह हमेशा राम भक्त के रूप में रहते हैं।इसके साथ ही भगवान श्रीरामजी ने अयोध्या का राज-काज हनुमंजी को ही सौंपा था।श्रीराम जी ने हनुमान जी की एक बड़ा अधिकार भी दे दिया भगवान श्रीराम ने कहा की जो भी अयोध्या मेरे दर्शन के लिए आएगा,वो पहले तुम्हारे दर्शन करेगा।इसलिए अयोध्या में दूर-दूर से राम भक्त दर्शन करने आते हैं।लेकिन,श्रीराम जी का दर्शन करने से पहले लोग हनुमान जी का दर्शन करते हैं।हनुमान गढ़ी एक ऊँचे टीले पर बना हुआ है।मंदिर के पुजारी रोज़ शाम हनुमान जी के बैठने के लिए सिंहासन लगा देते हैं।ये सिंघासन फूलो से सजाया जाता है फिर एक चोटी क़ालीन बिछाने के बाद उसपर सफ़ेद रंग की गद्दियाँ रखी जाती है।यह प्रक्रिया रोज़ यूँही चलती है।कहा जाता है की,हनुमान जी इस आसान पर आके कुछ देर बैठते हैं।आज भी यहाँ छोटी दीपावली के दिन हनुमान जी का जन्म दिन बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है।हनुमान गढ़ी को हनुमान जी का घर भी कहा जाता है।यदि आप लोग कभी अयोध्या नगरी घूमने जाएँ तो हनुमान गढ़ी में जाके हनुमान जी का दर्शन अवश्य करें।

कनक भवन

श्रीराम जन्म भूमि मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ -साथ राम नगरी के लगभग 200 पौराणिक मंदिरों का पुनः उद्द्धार की तैयारी है।कभी द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण भी श्री रामजी की पूजा करने अयोध्या आए थे।तो उस समय एक क़िले पर माँ पद्मसना को तपस्या करते हुए देखा।वहाँ विशाल और सुंदर कनक भवन मंदिर का निर्माण हुआ था।कनक भवन भी एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक मंदिर है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कनक भवन सीता जी को भेंट के रूप में माँ कैकेयी ने दिया था। सिताजी की मुँह दिखायी की रस्म में कैकेयी माँ ने यह भवन उन्हें भेंट स्वरूप में दी थी।कालांतर में बहुत बार इस मंदिर कि निर्माण होता रहा।वर्तमान मंदिर 1891 में उड़ीसा की महारानी द्वारा यह भवन बनवाया गया था।अयोध्या आने वाले श्रद्धालु हनुमान गढ़ी,श्रीराम जन्म भूमि के साथ-साथ कनक भवन भी अवश्य आते हैं।

कनक भवन का रहस्य क्या है?

कनक भवन के पीछे कथा यह है की त्रेतायुग में मिथिला नगर में महाराजा जनक जी यहाँ स्वयंबर में जब श्रीराम जी धनुष को तोडा था तब सिताजी ने उनके गले में वरमाला अर्पित की थी।उस रात उस रात प्रभु श्रीराम जी यह विचार करने लगे की जनकनंदिनी सीता जी अब हमारे साथ अयोध्या जाएँगी।इसलिए अब उनके लिए वह एक सुंदर भवन होना चाहिए।जिस क्षण प्रभु श्रीरामजी के मन में ये कामना जागृत हुई उसी समय महारानी कैकेयी  को स्वप्न में साकेत धाम वाला दिव्य कनक भवन दिखाई पड़ा।महारानी कैकेयी ने महाराजा दशरथ से स्वप्न में देखे हुए कनक भवन की प्रकृत को अयोध्या में बनाने की इच्छा व्यक्त की।महाराजा दशरथ की आग्रह पर शिल्पी विश्वकर्मा कनक भवन बनाने के लिए अयोध्या आए।उन्होंने अति सुन्दर कनक भवन बनाया।माता कैकयी ने वह सुंदर भवन अपनी पुत्र वधु सीता को मुँह दिखाई में भेंट स्वरूप दिया था।विवाह के बाद रामजी और सीता जी इसी भवन में रहने लगे।इस भवन में असंख्य दुर्लभ रत्न जुड़े हुए थे।आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने इस भवन को मंदिर के रूप में स्थापित करवाया।माता सीता एवं श्रीराम जी की युगल विग्रहों को पुनः यह पर स्थापित किया गया। महाराजा विक्रमादित्य द्वारा बनवाया गया यह विशाल कनक भवन 1000 वर्ष तक ज्यों का त्यों बना रह गया।बीच-बीच में मंदिर की मरम्मत भी होती रही।इसिबिछ अनेक बार अयोध्या में आक्रमण हुआ और कई प्रमुख देव स्थान यानी की कई मंदिर तोड़े गए थे जिसमें कनक भवन भी तोड़ा गया था।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापरयुग में जब श्री कृष्ण ने अपनी पटरानी रुक्मिनी सहित अयोध्या आए तबतक कनक भवन टूट-फूटकर एक ऊँचा टीला बन चुका था।भगवान श्री कृष्ण ने उसी टीले पर परम आनंद का अनुभव लिया था।उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से यह जान लिया की इसी स्थान पर कनक भवन स्थापित था।योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अपने योग बल से उस टीले से श्री सीता राम की प्राचीन विग्रहों को प्राप्त कर वहाँ स्थापित कर दिया।दोनो विग्रह अनुपम और विलक्षण हैं।इनका दर्शन करके ही लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।वास्तव में कनक भवन सीता राम का बहुत ही दिव्य स्थान है।महाराजा दशरथ जी ने यह भवन कैकेयी जी के कहने पर बनवाया था और यह पूरा भवन सोने का था।कहा जाता है की, इसमें माता सीता जी और श्रीराम जी का अभी भी निवास है।आप जब इस मंदिर में दर्शन के लिए जाएँगे तो आपको ऐसा लगेगा की कितनी देर तक यहाँ प्रभु के समक्ष बैठे रहूँ।इसलिए अगर आप अयोध्या जाएँ तो कनक भवन में जाकर प्रभु के दर्शन अवश्य करें।

सरयू घाट

ऐसा माना जाता है कि सरयू नदी के तट पर स्थित पवित्र घाट वह स्थान है जहाँ भगवान राम ने जल समाधि ली थी। इसमें 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में राजा दर्शन सिंह द्वारा निर्मित बेहतरीन, सुव्यवस्थित घाटों की एक श्रृंखला शामिल है।सरयू नदी के तट पर बसी सप्त पुरियों में से एक अयोध्या नगरी प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि है।सरयू नदी उत्तर भारत में बहने वाली एक प्रमुख नदी है यह सरयू नदी।यह नदी गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।

सरयू नदी क्यों इतनी प्रसिद्ध है?

यह नदी तिब्बत के पठार पर स्थित मौ चिम्बोग्लेशर से निकलती है,और यह नदी नेपाल की शिवालिक की पहाड़ियों को काटकर रास्ता बनाकर फिर यह 2 नदियों में विभाजित हो जाती है।जिन 2 नदियों में यह विभाजित होती है उन नदियों का नाम है करयाला और गिरवा।इसके बाद नेपाल से भारत आकर यह दोनों नदियाँ आपस में मिल जाती हैं।जिसे हम सरयू नदी के नाम से जानते हैं।इस नदी को घाघरा नदी के भी नाम से जाना जाता है।अगर हम सरयू नदी की लंबाई की बात करें तो इस नदी की लम्बाई कुल 1080 किलोमीटर है।सरयू नदी को कई नामों से जाना जाता है जैसे कि,करनाली नदी,घाघरा नदी,सरज़ू नदी और गोगडा नदी।यह नदी नेपाल की सबसे प्राचीन शिवालिक की पहाड़ियों को उजगिर करती है।यह नदी नेपाल की सबसे लम्बी नदी भी है।इस नदी को नेपाल में करनाली नदी कहा जाता है।नेपाल में इस नदी की लम्बाई 507 किलोमीटर है।इस नदी की गहराई की बात करें तो 600 फ़ीट से भी ज़्यादा है।यह गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।रामायण में सरयू नदी का ज़िक्र कई बार किया गया है।अयोध्या नगरी इसी नदी के दाहिने किनारे पर बसी हुई है।सरयू नदी तीन देशों से होकर बहती है। इन तीन देशों का नाम है तिब्बत (चीन) ,नेपाल और भारत।भारत में यह नदी उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में बहती है,और उसके बाद गंगा नदी में समाहित हो जाती है।यह नदी बिहार राज्य के छपरा जिले में रेवालगंज नामक जगह पर गंगा में समाहित होती है।68 करोड़ तीर्थ अयोध्या में आते हैं।

लता मंगेशकर चौक अयोध्या

सरयू नदी के ठीक किनारे जो नया घाट है और राम की पैड़ी के सामने इस लता मंगेशकर चौक को बनाया गया है।उत्तर प्रदेश के   मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने यह घोषणा कुछ ही दिनों पहले की थी की नया घाट इस चौक का नाम बदलकर अब लता मंगेशकर चौक रखा जाएगा।इस चौक को बहुत ही सुंदरता से बनाया गया है।

लता मंगेशकर चौक अयोध्या का लोकार्पण कब हुआ?

इस चौक का लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी के द्वारा किया गया 28 दिसम्बर को।इस चौक को बहुत ही सुंदरता से बनाया गया है।इस चौक की सुंदरता इसलिए बढ़ गयी है क्योंकि चौक के बीचोंबीच एक बहुत ही बड़ी वीणा रखी गयी है।इस वीणा की लम्बाई तक़रीबन 40 फ़ीट है,इस वीणा का वज़न तक़रीबन 15 टन का है।अयोध्या की जनता को एक भेंट स्वरूप सौंपा गया है यह चौक।देखा जाए तो अयोध्या में काफ़ी विकास की प्रयोजनाए चलाई जा रही हैं।यह चौक अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण इसलिए माना गया है क्योंकि,स्वर्ग कोकिल लता मंगेशकर के नाम पर यह पहला स्मारक है।28 दिसम्बर 2022 को ही लता मंगेशकर जी की जयंती भी थी और उसी दिन इस चौक का उद्घाटन किया गया मुख्यमंत्री द्वारा।नया घाट में इतना विकास हो गया है कि पर्यटकों की क़तारें लग जाती हैं।

तुलसी स्मारक भवन अयोध्या 

भगवान राम की मातृभूमि, अयोध्या में, तुलसी स्मारक भवन संग्रहालय उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित, तुलसी स्मारक भवन संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1969 में की गई थी। तुलसीदास एक महान हिंदू कवि थे, जिन्होंने हिंदू महाकाव्य, रामचरित्रमानस और हनुमान चालीसा को लिखा था। अयोध्या के इस लोकप्रिय संग्रहालय की बात करें तो इसमें तुलसीदास की साहित्यिक रचनाओं का एक बड़ा भंडार है। इतना ही नहीं, यह संग्रहालय भक्ति संगीत समारोहों, प्रार्थना सभाओं और धार्मिक प्रवचनों की मेजबानी के लिए भी जाना जाता है। तुलसी स्मारक भवन के परिसर में एक अनुसंधान केंद्र भी है जिसे अयोध्या शोध संस्थान के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही, अयोध्या में इस अवश्य देखने योग्य स्थान में एक पुस्तकालय भी शामिल है जिसमें रामायण कला और शिल्प की एक महान प्रदर्शनी और राम कथा का पाठ शामिल है। इन सबके अलावा, तुलसी स्मारक भवन संग्रहालय का एक प्रमुख आकर्षण साल भर चलने वाली राम लीला का मंचन है। यह प्रतिदिन शाम 6:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक किया जाता है।इस जगह की खास बात यह है कि यहां पूरे साल राम लीला का मंचन होता रहता है। प्रदर्शन का समय शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक है। यहां अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों का भी अनुभव किया जा सकता है।यह न्यू कॉलोनी, अयोध्या में स्थित है। यह अयोध्या रेलवे स्टेशन से 1.2 किमी और फैजाबाद जंक्शन से 11.4 किमी दूर है।

दशरथ महल अयोध्या 

राजा दशरथ का भव्य निवास इस आकर्षक पर्यटन स्थल की भव्यता और आकर्षण ऐसा है कि यह कहना अभी भी एक अतिशयोक्ति होगी कि अयोध्या में दशरथ महल देखने के लिए एक असाधारण स्थान है। हनुमान गढ़ी से इसकी दूरी 50 मीटर है. यह स्थान एक पर्यटक स्थल से कहीं अधिक दर्शनीय स्थल है। यह स्थान अपनी सुंदर वास्तुकला और विशिष्ट मानकों के कारण अत्यधिक मांग में है।इस महल की खास बात तो यह है की,यह महल ठीक उसी जगह बनाया गया है जहाँ राजा दशरथ का असली निवास हुआ करता था।इस भवन में जो मंदिर है वहाँ पर प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता जी की मूर्तियाँ लगी हुई है।इस मंदिर का जो अंदर जाने वाला द्वार है,यानी की प्रवेश द्वार वह बहुत ही बड़ा और रंगीन है।इस जगह पर अधिक संख्या में भक्त भजन एवं कीर्तन करते हैं।मान्यताओं के अनुसार इस महल में चक्रवर्ती महाराजा दशरथ जी अपने रिश्तेदारों के साथ रहते थे।इस महल में सभी त्योहार बड़े ही उत्साह से मनाए जाते हैं।त्योहार जैसे कि दिवाली,चैत्र रामनवमी और राम विवाह आदि।यह महल अयोध्या के ठीक बीचों-बीच स्थित है।दशरथ महल में आरती का समय है,सुबह 6 बजे से 7 बजे के बीच।रात्रि में 9 से 10 के बीच में आरती होती है।दशरथ महल एक बहुत ही सुंदर जगह है जो कि,अति अति रमणीय और शांत जगह है।

दशरथ भवन अयोध्या घूमने जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?

वैसे तो यहाँ पर आप कभी भी जा सकते हैं।क्योंकि अयोध्या नगरी का माहौल ही कुछ ऐसा है की, आप कभी भी आएँ आपको अच्छा ही लगेगा।लेकिन फिर भी अयोध्या यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से दिसम्बर के बीच का है।क्योंकि इस समय यहाँ का मौसम बेहद ठंडा होता है।इस सुहावने मौसम में अयोध्या घूमने का मज़ा ही कुछ और है।एक और फ़ायदे की बात आपको बताना चाहेंगे की, अयोध्या नगरी के इस दशरथ महल में जाने की कोई एंट्री फ़ीस नहीं है।आप निःशुल्क यहाँ पर जा सकते हैं।

श्रीराम मंदिर 

अयोध्या में सबसे सुंदर अगर कुछ देखने के लिए है तो वह है श्रीराम मंदिर जो की अभी बन रहा है। 22 जनवरी को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। यानी की, प्रभु श्रीराम जी की मूर्ति की स्थापना की जाएगी।भव्य,शानदार,विराट और विशाल राम मंदिर हमारे अयोध्या में बनने वाला है।राम मंदिर अभी पूरी तरह बना नहीं है लेकिन,उसका निर्माण कार्य ही मन मोह लेता है।पूर्व से पश्चिम तक 350 फ़ीट तक फैले हुए,उत्तर से दक्षिण तक 268 फ़ीट चौड़े और 161 फ़ीट की ऊँचाई छूते हुए राम मंदिर की सुंदरता देखते ही बनेगी।राम मंदिर सिर्फ़ सुंदर ही नहीं बल्कि,बेहद शक्तिशाली भी है।इतना शक्तिशाली है की,100 ही नहीं बल्कि,1000 वर्ष तक भी मंदिर को कुछ नहीं हो सकता।मंदिर पर कोई खरोंच भी नहीं आएँगी।मंदिर को काफ़ी मज़बूती से बनाया गया है।राम मंदिर की नींव इतनी मज़बूत है की कोई आपदा उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी।बड़े से बड़ा भूकम्प भी आ जाए तो भी राम मंदिर का बाल भी बाकां नहीं हो सकता।राम मंदिर में कुल 400 खम्बे हैं।राम मंदिर में ग्रेनाइट का भी इस्तमाल किया जा रहा है, जो की बहुत मज़बूत होता है।ऐसे शानदार और दमदार राम मंदिर में राम लला विराजमान होंगे। 22 जनवरी को उनकी प्राण प्रतिष्ठा होगी और ख़ुद ग्रहों के राजा सूर्यदेव उनका तिलक करेंगे।राम मंदिर वास्तु कला का एक नायाब नमूना है पिछले क़रीब 500 साल में ऐसा निर्माण नहीं हुआ है और जब राम मंदिर बनकर पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तो उसकी मिसाल युगों युगों तक दी जाएगी।

तुलसी उद्यान अयोध्या 

अयोध्या जंक्शन से 2 किमी की दूरी पर, तुलसी उद्यान है।यह उद्यान अयोध्या फैजाबाद रोड पर स्थित एक उद्यान है। यह आपकी अयोध्या यात्रा के दौरान घूमने के लिए लोकप्रिय स्थानों में से एक है।तुलसी उद्यान की स्थापना महान संत-कवि तुलसी दास, भक्त और महाकाव्य रामचरितमानस के निर्माता के स्मारक के रूप में की गई थी। यह उद्यान फैजाबाद से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर अयोध्या बस स्टैंड के पास स्थित है, जो अयोध्या क्षेत्र का एक हिस्सा है। उद्यान वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार के उद्यान विभाग के प्रबंधन में है।इस उद्यान को पहले इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया के नाम पर विक्टोरिया पार्क कहा जाता था और इसके केंद्र में रानी विक्टोरिया की एक मूर्ति थी। बाद में 1960 में गोस्वामी तुलसीदास के नाम पर इसका नाम तुलसी उद्यान रखा गया। उद्यान के भीतर एक सुंदर नक्काशीदार छतरी के नीचे तुलसी दास की मूर्ति भी स्थापित की गई है। इसमें एक शांत और शांतिपूर्ण माहौल है जो व्यक्ति को आराम करने और शांतिपूर्ण समय बिताने में मदद करता है। पर्यटक अक्सर तुलसी उद्यान में टहलने जाते हैं क्योंकि यह अयोध्या में दर्शनीय स्थलों की यात्रा का एक अभिन्न अंग बन गया है।

श्री नागेश्वरनाथ मंदिर अयोध्या 

यह मंदिर अयोध्या में राम की पैड़ी पर है। कहा जाता है कि नागेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना राम के पुत्र कुश ने की थी। किंवदंती है कि कुश ने सरयू में स्नान करते समय अपना बाजूबंद खो दिया था, जिसे एक नाग-कन्या ने उठा लिया था, जो उससे प्रेम करने लगी थी। चूँकि वह शिव की भक्त थी, इसलिए कुश ने उसके लिए यह मंदिर बनवाया। विक्रमादित्य के समय तक भी मंदिर अच्छी स्थिति में था। वर्तमान मंदिर का निर्माण 1750 में सफदर जंग के मंत्री नवल राय ने करवाया था।शिवरात्रि का त्योहार यहां बड़े पैमाने पर मनाया जाता है और इन उत्सवों के दौरान शिव बारात जुलूस निकाला जाता है जो विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। महाशिवरात्रि के त्योहार के दौरान मंदिर में हजारों भक्त आते हैं।अयोध्या में कई मंदिर हैं और इन सभी मंदिरों की अपनी-अपनी परम्पराएँ हैं।इन सब मंदिरों में से एक है नागेश्वर नाथ मंदिर अयोध्या ट्रस्ट।

नागेश्वरनाथ मंदिर अयोध्या की विशेषताएँ 

श्रीराम जी की नगरी अयोध्या जिसके पैर पखारने के लिए सरयू भी व्याकुल रहती है, और इस व्याकुल सरयू के राम पैड़ी घाट पर सजता है श्रद्धा और भक्ति का वो संसार जो भगवान श्री राम के आराध्य भगवान भोलेशंकर का है।राम पैड़ी घाट पर बना भगवान नागेश्वर नाथ का धाम जिसकी स्थापना भवन राम के पुत्र कुश ने की थी।इस मंदिर की यह ख़ासियत है की, यहाँ भगवान राम के आराध्य भोलेनाथ ने स्वयं अवतार लिया था।राम की पैड़ी के पास ही बना है भोलेनाथ का यह भव्य और प्राचीन मंदिर।ऐसा कहा जाता है कि यह एकमात्र मंदिर है जो विक्रमादित्य के समय तक जीवित रहा, बाकी शहर खंडहर हो गया था और घने जंगलों से ढका हुआ था। इस मंदिर के माध्यम से ही विक्रमादित्य अयोध्या और यहां के विभिन्न तीर्थस्थलों का पता लगाने में सक्षम हुए थे। यहां शिवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

मनी पर्वत मंदिर 

अयोध्या जंक्शन से 3 किमी की दूरी पर, मणि पर्वत अयोध्या के कामी गंज में स्थित एक छोटी पहाड़ी है। यह अयोध्या में घूमने लायक लोकप्रिय धार्मिक स्थलों में से एक है।समुद्र तल से लगभग 65 फीट ऊपर स्थित मणि पर्वत का बड़ा धार्मिक महत्व है। 

मनी पर्वत मंदिर की ख़ासियत क्या है?

रामायण के अनुसार, मेघनाथ द्वारा युद्ध में घायल हुए लक्ष्मण के इलाज के लिए भगवान हनुमान ने संजीवनी बूटी वाला एक पूरा पर्वत उखाड़ दिया था। ऐसा माना जाता है कि पर्वत का एक हिस्सा अयोध्या में एक स्थान पर गिरा था जिसे मणि पर्वत कहा जाता है। यह सुग्रीव पर्वत नामक एक अन्य टीले के करीब स्थित है।भगवान राम के लिए सबसे पूजनीय स्थानों में से एक, मणि पर्वत कई मंदिरों का घर है। ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध छह साल तक अयोध्या में रहे और मणि पर्वत से धर्म के कानून के बारे में अपना उपदेश दिया। पहाड़ी पर सम्राट अशोक द्वारा निर्मित एक स्तूप और एक बौद्ध मठ भी है। पहाड़ी की चोटी से अयोध्या शहर और आसपास के क्षेत्रों का शानदार दृश्य देखा जा सकता है। मणि पर्वत की तलहटी में एक इस्लामी मकबरा है।

इमाम बाड़ा गुलाबबरी 

गुलाब बाड़ी (शाब्दिक अर्थ ‘गुलाबों का बगीचा’) नवाब शुजा-उद-दौला का मकबरा अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत में है। इस स्थान पर पानी के फव्वारों के किनारे लगे विभिन्न किस्मों के गुलाबों का अच्छा संग्रह है। गुलाब बाड़ी परिसर में अवध (अब अवध) के तीसरे नवाब नवाब शुजा-उद-दौला का मकबरा (मकबरा) है। यह मकबरा चारबाग गार्डन के केंद्र में फव्वारों और उथले पानी के चैनलों के साथ स्थित है।

गुलाब बाड़ी केवल एक ऐसा स्थान नहीं है, जिसे देखने की जरूरत है; यह पूजा और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का स्थान है। स्थानीय लोग इसे एक पवित्र स्थान मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह स्मारक लखनऊ के एक बौआली से जुड़ा है और यह नवाब शुजा-उद-दौला के उत्तराधिकारियों के लिए छिपने का स्थान हुआ करता था।अयोध्या में यह एक सुंदर मक़बरा है अयोध्या स्टेशन से क़रीब 5 किलो मीटर की दूरी पर है यह गुलाब बारी।उत्तर प्रदेश की विरासत स्थलों में से एक है गुलाब बरी।यह एक पर्यटन स्थल है।यह एक ऐसा स्थान है जहाँ पूजा आदि के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।बहुत ही ख़ूबसूरत जगह है यह।

बिरला मंदिर अयोध्या

श्री राम जानकी बिड़ला मंदिर एक नवनिर्मित मंदिर है। यह अयोध्या-फैजाबाद मार्ग पर अयोध्या बस स्टॉप के सामने स्थित है। यह मंदिर भगवान राम और देवी सीता को समर्पित है।बिड़ला मंदिर की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में इसका शिकारा है, जो लगभग 160 मीटर ऊंचा है। यह भव्य मंदिर पूर्व दिशा की ओर उन्मुख है। सूर्योदय के समय मंदिर की सुंदरता आगंतुकों को और भी अधिक आकर्षित करती है।सीताराम जी की मूर्तियों को देखना अपने आप में एक आशीर्वाद है। सड़क पर इतनी भीड़ के बीच इतना शांत मंदिर। कोई भी रेलवे स्टेशन से पैदल चलकर वहां पहुंच सकता है या वहां इंतजार कर सकता है और स्टेशन के लिए रवाना होने से पहले पूजा कर सकता है। संपूर्ण परिसर सुव्यवस्थित हरियाली से भरा हुआ है। उनके पास एक गेस्ट हाउस है जिसे बुक किया जा सकता है। आसपास के मंदिर हनुमानगढ़ी और राम जन्मभूमि मंदिर हैं। वहां बैठने से मानसिक शांति मिलती है। पूरे वर्ष भर समारोह होते रहते हैं।

छोटी छावनी रोड अयोध्या 

छोटी छावनी, जिसे वाल्मिकी भवन या मणिरामदास छावनी के नाम से भी जाना जाता है, अयोध्या में एक शानदार संरचना है जो पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बनी है। बेहद सुंदरता से भरी यह जगह निश्चित रूप से देखने लायक है।विरासत गुफाओं की संख्या 34 है, दक्षिण में 12 बौद्ध हैं, केंद्र में 17 हिंदू हैं और उत्तर में 5 जैन हैं, इसलिए यह इसे एक महत्वपूर्ण और विस्तृत वास्तुशिल्प प्रतिभा बनाती है। गुफाओं में कैलाश मंदिर संरचनाओं की जटिल सुंदरता को बढ़ाता है।दिर सुबह 6:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक और दोपहर 3 बजे से रात 8 बजे तक खुलता है।

छोटी छावनी मंदिर की विशेषताएँ 

इस मंदिर में दीवारों पर श्रीमदभगवद्गीता के सभी अध्याय लिखे हुए हैं।पहले अध्याय से लेकर अठारहवाँ अध्याय तक।मंदिर में एक ताम्बे का स्तम्भ है जिसपर लिखे हुए सारे अक्षर आपको स्पष्ट दिखाई देंगे।इस स्तम्भ पर भगवान श्रीकृष्ण की की सारी बातें जो की, अठारहवें अध्याय में उल्लेखित है, वही लिखी हुई है।इस स्तम्भ पर लोग कलावा बाँधकर अपनी मुरादें माँगते हैं।स्तंभ से थोड़ी ही दूरी पर लक्ष्मीनारायण की एक छवि आपको देखने मिलेगी जहाँ भगवान विष्णु शयन करते हुए आपको नज़र आएँगे।यह बहुत ही सुंदर दृश्य है।मंदिर में अनेकों संत बैठे रहते हैं और हर कोई भगवान की पूजा पाठ में लीन रहता है।यहाँ का जो प्रधान मंदिर है वो भगवान राम और सीता जी का है।इन दोनों की बहुत ही सुंदर मूर्तियाँ यहाँ पर स्थापित हैं, और यही इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है।

जानकी महल अयोध्या 

अयोध्या में वैसे तो बहुत ख़ूबसूरत जगह हैं,और उन जगहों में से ही एक है जानकी महल मंदिर।यह मंदिर काफ़ी बड़ा है।श्री जानकी महल अयोध्या बस स्टैंड से 700 मीटर और राम मंदिर से 1 किमी की दूरी पर स्थित है। श्री जानकी महल में केवल परिवारों के लिए दो बिस्तरों वाले एसी और गैर-एसी कमरों के साथ-साथ तीन बिस्तरों वाले कमरे भी उपलब्ध हैं। भोजनालय में भोजन परोसा जाता है। वाहनों के लिए पार्किंग की जगह उपलब्ध है।आवास भोजन और पार्किंग सुविधा प्रदान करता है। ठहरने का चेक-इन और चेक-आउट समय 24 घंटे का है। आपको बजट कीमत पर सीसीटीवी कैमरे, गर्म पानी और साफ पीने का पानी जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी।अयोध्या उत्तर प्रदेश का एक शहर है जिसे भारत का हृदय और आत्मा माना जा सकता है। यह वह पवित्र स्थान है जहां श्री राम ने भगवान विष्णु के अवतार के रूप में प्रकट होने के लिए चुना था। शहर से होकर बहने वाली सरयू नदी गंगा नदी के बराबर है और यह नदी श्री राम को बहुत प्रिय थी। अयोध्या में कई पवित्र स्थल हैं जहां श्रद्धालु अवश्य जाते हैं।

FAQ:

Q: अयोध्या का पुराना नाम क्या है?

Ans. अयोध्या को पहले साकेत नाम से जाना जाता था।

Q: प्रभु श्रीराम जी की कितनी पत्नियाँ थी?

Ans. भगवान रामजी ने केवल एक शादी की थी,और उनकी अर्धागनी माता सीता थी।

Q: राम मंदिर कौनसे राज्य में है?

Ans. राम मंदिर उत्तरप्रदेश में है।

Q: राम मंदिर कौनसे जिले में हैं?

Ans. राम मंदिर अयोध्या जिले में हैं।

Q: लता मंगेशकर चौक अयोध्या का उद्घाटन कब हुआ?

Ans. इस चौक का उद्घाटन 28 दिसम्बर 2022 को हुआ।

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