सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध में राम आए हैं,
सजा दो घर को गुलशन सा,
सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध में राम आए हैं।।
अवध में राम आए हैं,
मेरे सरकार आए हैं,
अवध में राम आए हैं,
मेरे सरकार आए हैं,
मेरे सरकार आए हैं।।
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे सरकार आए हैं।।
पखारों इनके चरणों को,
बहाकर प्रेम की गंगा,
पखारों इनके चरणों को,
पखारों इनके चरणों को,
बहाकर प्रेम की गंगा।।
बिछादो अपनी पलकों को,
बिछादो अपनी पलकों को,
मेरे सरकार आए हैं।।
सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध मे राम आए हैं।।
उमड़ आयी मेरी आँखें,
देख कर अपने भगवान को,
उमड़ आयी मेरी आँखें,
देख कर अपने भगवान को,
देख कर अपने भगवान को ।।
हुई रौशन मेरी गलियाँ,
हुई रौशन मेरी गलियाँ,
मेरे सरकार आए हैं।।
सजा दो घर को गुलशन सा,
सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध में राम आए हैं,
अवध मे राम आए है,
अवध मे राम आए हैं।
गायक :- मैथिली ठाकुर, रिशव ठाकुर, अयाची ठाकुर