महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अयोध्या (Maharishi Valmiki International Airport Ayodhya)

प्रभु श्रीराम जी की नगरी अयोध्या नगरी तो ऐसे सजायी जा रही है मानो सचमुच त्रेतायुग आ गया हो।श्रीराम जन्म भूमि पर सिर्फ़ राम मंदिर बन रहा है किंतु यह कार्य केवल मंदिर बनने का ही नहीं बल्कि पूरी अयोध्या को एक बार फिरसे श्रीराम जी की अयोध्यानगरी बनाना है।अयोध्या में कई ऐसे स्थान है जिनका अपना एक अलग ही इतिहास है लेकिन, इस बार अयोध्या में एक हवाई अड्डा बनाया गया जो कि अंतरराष्ट्रीय है।इस हवाई अड्डा का शुभ नाम है महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा।यह नाम सुनने में कितना अच्छा लगता है ना क्योंकि, यह एक बहुत ही बड़ी हस्ति का नाम है।आप सब के मन में यही आ रहा होगा की आख़िर अयोध्या के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम यही क्यों रखा गया।तो हम आपको बताना चाहेंगे की,महर्षि वाल्मीकि जी वो शख़्स हैं, जिन्होंने पूरी रामायण को संस्कृत भाषा में वर्णित किया है, यानी की लिखा है।यह एक बहुत ही प्रसिद्ध रचयिता हैं।

महर्षि वाल्मीकि कौन थे ?

महर्षि वाल्मीकि को प्राचीन वैदिक काल के महा ऋषियों की श्रेणी में त्रिमुख स्थान प्राप्त है।महर्षि वाल्मीकि जी रामायण के रचयिता है।उन्होंने पूरा रामायण सर्वप्रथम संस्कृत भाषा में लिखा था।इनको आदिकवि भी कहा जाता है।क्योंकि संस्कृत भाषा के यह पहले कवि हैं। ऐसा कहा जाता है की संस्कृत भाषा में अगर किसिने पहले श्लोक बोला था तो वे हैं महर्षि वाल्मीकि जी।इनकी कहानियों के बारे में देखा जाए तो ऐसा माना जाता है की यह पहले एक ख़ूँख़ार डाकू रत्नाकर के नाम से जाने जाते थे।उसके बाद उनके जीवन में कुछ बदलाव आते हैं जब महर्षि वाल्मीकि जी प्रभु श्रीराम जी कले भक्त बन जाते हैं।उसके बाद ये एक महान कवि बन गए।इनके बारे में अगर और बातें जानना चाहे तो यह है की,महर्षि वाल्मीकि जी ने कुछ अच्छे सुविचार भी कहे थे जैसे की,”समय से ज़्यादा ताक़तवर कोई भी देवता नहीं है”।ऐसा इनका मानना था।देखा जाए तो महर्षि वाल्मीकि जी ने समय से संबंधित बहुत सी बातें कहीं हैं।इससे यह पता चलता है की उनके जीवन में समय का बहुत अधिक महत्व था।रामायण जैसा महाकाव्य महर्षि वाल्मीकि जी ने लिखा था।यह कोई मामूली ग्रंथ नहीं है।यह एक ऐसा महाकाव्य है जिसमें 24,000 श्लोक हैं,4,80,002 शब्द हैं।रामायण अपने आप में ही एक बहुत बड़ा महाकाव्य बनता है।महाभारत सर्वप्रथम है क्योंकि उसमें 1लाख के आसपास सिर्फ़ श्लोक है और आपको बताना चाहेंगे की रामायण महाभारत का 1/4 हिस्सा है।

महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को मंज़ूरी कैसे मिली?

अयोध्या हवाई अड्डा अब महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्याधाम है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को मंदिर शहर में हवाई अड्डे के नाम को मंजूरी दे दी, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिल गया।कैबिनेट की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि अयोध्या की आर्थिक क्षमता और वैश्विक तीर्थ स्थल के रूप में इसके महत्व को समझने, विदेशी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए दरवाजे खोलने के लिए हवाई अड्डा सर्वोपरि है।यह हवाई अड्डा इसलिए बनाया गया है क्योंकि,राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में भक्तों की क़तारें लगने वाली है।सिर्फ़ हमारे देश से ही नहीं बल्कि विश्व के हर कोने से भक्त दर्शन की अभिलाषा लेकर आएँगे।इसलिए ये हवाई अड्डा को अब अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बना दिया गया है।

अयोध्या हवाई अड्डे का नाम महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अयोध्या धाम क्यों रखा गया ?

एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए, प्रधान मंत्री ने अयोध्या हवाई अड्डे का नाम महर्षि वाल्मिकी के नाम पर रखने पर खुशी व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मिकी की रामायण ज्ञान का मार्ग है जो हमें श्रीराम से जोड़ती है। आधुनिक भारत में महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा हमें अयोध्या धाम और दिव्य-भव्य राम मंदिर से जोड़ेगा। पहले चरण में हवाई अड्डा सालाना 10 लाख यात्रियों को संभाल सकता है और दूसरे चरण के बाद, महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सालाना 60 लाख यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।विज्ञप्ति में कहा गया है कि हवाई अड्डे का नाम, “महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्याधाम” महर्षि वाल्मिकी को श्रद्धांजलि देता है, ऋषि ने महाकाव्य रामायण की रचना की थी, जिससे हवाई अड्डे की पहचान में एक सांस्कृतिक स्पर्श जुड़ गया।अपनी गहरी सांस्कृतिक जड़ों के साथ अयोध्या रणनीतिक रूप से एक प्रमुख आर्थिक केंद्र और तीर्थ स्थल बनने की स्थिति में है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रियों और व्यवसायों को आकर्षित करने की हवाई अड्डे की क्षमता शहर की ऐतिहासिक प्रमुखता के अनुरूप है

महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को बनाने में कितनी लागत लगी?

हवाई अड्डे का पहला चरण 1,450 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है। हवाई अड्डे के टर्मिनल भवन का क्षेत्रफल 6500 वर्गमीटर होगा, जो सालाना लगभग 10 लाख यात्रियों की सेवा के लिए सुसज्जित होगा। टर्मिनल बिल्डिंग का अग्रभाग अयोध्या के आगामी श्री राम मंदिर की मंदिर वास्तुकला को दर्शाता है। टर्मिनल बिल्डिंग के अंदरूनी हिस्सों को भगवान श्री राम के जीवन को दर्शाने वाली स्थानीय कला, पेंटिंग और भित्तिचित्रों से सजाया गया है। अयोध्या हवाई अड्डे का टर्मिनल भवन विभिन्न स्थिरता सुविधाओं से सुसज्जित है जैसे कि इन्सुलेशन छत प्रणाली, एलईडी प्रकाश व्यवस्था, वर्षा जल संचयन, फव्वारे के साथ भूनिर्माण, जल उपचार संयंत्र, सीवेज उपचार संयंत्र, सौर ऊर्जा संयंत्र और ऐसी कई अन्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं गृह – 5 स्टार रेटिंग। हवाई अड्डे से क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार होगा, जिससे पर्यटन, व्यावसायिक गतिविधियों और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिलेगा।

पहले चरण में इन शहरों से चलेगी अयोध्या धाम के लिए फ्लाइट चलाई जाएँगी।

  • पहले चरण में सिर्फ़ अयोध्या से अहमदाबाद और अयोध्या से दिल्ली के लिए फ़्लाइट लिया जा सकेगा।
  • 6 जनवरी 2024 को पहली फ़्लाइट उड़ान भरेगी।जिसका समय होगा सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर, दिल्ली से अयोध्या महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अयोध्या धाम के लिए।यह फ़्लाइट का अयोध्या पहुँचने का टाइम 1:15 मिनट का होगा।यानी की अब दिल्ली से अयोध्या की दूरी केवल 1घंटा 20 मिनट में पूरी की जा सकेगी।
  • अयोध्या से दिल्ली और दिल्ली से अयोध्या की फ़्लाइट 10 जनवरी से लोगों के लिए उपलब्ध की जाएगी।लेकिन आपको बताना चाहेंगे की इसका समय एक ही  होगा।
  • 11 जनवरी से नियमित तरीक़े से फ़्लाइट की सुविधा लोगों को मिलेगी।11 जनवरी से अहमदाबाद और अयोध्या के बीच हफ़्ते में केवल 3 दिन फ़्लाइट चलाएगी जाएगी।वह दिन है मंगलवार,गुरुवार और शनिवार।फ़्लाइट का समय होगा, यह 9:10 मिनट पर अयोध्या से उड़ान भरेगी और 11 बजे अयोध्या धाम पहुँच जाएगी।
  • यही फ़्लाइट फिर रात को 11:30 बजे अयोध्या से उड़ान भरेगी और 1:40 मिनट पर अहमदाबाद पहुँचेगी।

महर्षि वाल्मीकि का प्रारम्भिक जीवन 

  • महर्षि वामिल्की का जन्म ऋषि प्रचेतस (महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र) के घर रत्नाकर के रूप में हुआ था। उनकी माता का नाम चर्षणी था।
  • बहुत ही कम उम्र में रत्नाकर जंगल में चले गए और खो गए। एक शिकारी, जो वहां से गुजर रहा था, ने रत्नाकर को देखा और उसे अपनी देखभाल में ले लिया।
  • अपने पालक माता-पिता के प्यार और देखभाल के तहत, रत्नाकर अपने मूल माता-पिता को भूल गए।
  • अपने पिता के मार्गदर्शन में रत्नाकर एक उत्कृष्ट शिकारी बन गये।
  • जैसे ही रत्नाकर की शादी की उम्र करीब आई, उनकी शादी शिकारी परिवार की एक खूबसूरत लड़की से कर दी गई।

महर्षि वाल्मीकि कैसे बने डाकू?

  • जैसे-जैसे उनका परिवार बड़ा होता गया, रत्नाकर के लिए उन्हें खाना खिलाना लगभग असंभव हो गया।
  • जैसे-जैसे उनका परिवार बड़ा होता गया, रत्नाकर के लिए उन्हें खाना खिलाना लगभग असंभव हो गया।
  • परिणामस्वरूप, उन्होंने डकैती करना शुरू कर दिया और एक गाँव से दूसरे गाँव जाने वाले लोगों को लूटना शुरू कर दिया।

FAQ:

Q: अयोध्या एयरपोर्ट का नाम अब क्या है?

Ans. महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अयोध्या धाम।

Q: महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का उद्घाटन कब हुआ?

Ans. महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का उद्घाटन 30 दिसम्बर 2023 को हुआ।

Q: महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का उद्घाटन किसने किया?

Ans . महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का उद्घाटन माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किया।

Q: अयोध्या एयरपोर्ट घरेलू है या अंतरराष्ट्रीय?

Ans. अयोध्या एयरपोर्ट पहले घरेलू था लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय हो गया है।

Q: अयोध्या हवाई अड्डे का निर्माण किसने करवाया?

Ans. भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण ने अयोध्या हवाई अड्डे का निर्माण करवाया।

Q: उत्तर प्रदेश में कितने अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं?

Ans. उत्तर प्रदेश में 5 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं।

Q: अयोध्या में कौनसा मंदिर सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध है ?

Ans. अयोध्या में हनुमानगढ़ी नामक हनुमान जी का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है।

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